लाभदायक सूअर पालन के लिये कुछ मुख्य बातें निम्नलिखित नियम के अनुसार चलना चाहिए :-
1. स्वाइन फीवर एवं खुरहा-मुहपका का वर्ष में एक बार अवश्य लगया ले।
2. लाभदायक सूअर पालन के लिये आवास की सफाई पर विशेष ध्यान।
3. अपने पशुओं का निरीक्षण 24 घण्टे में कम से कम एक बार अवश्य कर ले खाने के समय निरीक्षण बहुत ही लाभदायक होता है। बीमार पशु की पहचान तुरन्त की जा सकती है।
4.बच्चा देने वाली बकरी को बच्चा देने के करीब एक महीना पहले जोक की दवा देनी चाहिए।
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पशुपालन – पूछे जाने वाले प्रश्न एवं समाधान:-
5.बच्चा देने से 4-5 दिन पहले बकरी को अच्छी तरह से घो देना चाहिए और उसे प्रसूति गृह में रखना चाहिए।
6. नवजवान बच्चों के नाभी में टिक्चर आफ आयोडीन लगा देना चाहिए और इनफेरॉन की सूई जन्म के तीसरे दिन लगा देना चाहिए।
7. लाभदायक सूअर पालन के लिये 6-8 सप्ताह में नर-बच्चों का जिन्हे प्रजनन के लिए नहीं रखना हो बधिया करा देना चाहिए।
8. कमजोर सूकर के भोजन की अलग व्यवस्था करें।
9. नये बच्चे अपनी माँ के शरीर से दब कर मर जाते हैं प्रसूति गृह में इसकी ओर विशेष ध्यान देना चाहिए।
10. लाभदायक सूअर पालन के लिये एक नर सूकर से करीब 10-20 मादा सूकर का प्रजनन किया जा सकता है।यह संख्या साल भर के लिए है।
11.स्वाइन फीवर से बचाने के लिए समय पर टीका लगवा देना चाहिए। उसके पेट में कीड़ों के रहने से भी बीमारी होती है इसके अलावे चर्म रोग भी होते हैं। इन सबों के लिए उचित चिकित्सा करवाना अनिवार्य होगा।
12. मादा सूकर करीब 9 महीने से। वर्ष की उम्र में पाल खाने लायक हो जाती है और 13 महीने से 15 महीने की उम्र में बच्चा देती है। एक बार में मादा कुकर 10-12 बच्चे दे सकती है। अगर उचित व्यवस्था की जाय तो एक सूकरी साल में दो बार बच्चा दे सकती है।
13. सुकरिया करीब 5-7 मिनट के अन्तर पर बच्चा देती है और डेव-दो घण्टे के अन्दर सभी बच्चों को पैदा कर देती है। अतिम बच्चा के बाद झर निकलता है जिसे तुरन्त ही प्रसव गृह से हटाकर कहीं गाड़ देना चाहिए। ऐसा नहीं करने से सूकरिया उसे खा जाती है उसे खाने से सूकरियां के दूध का प्रवाह कम हो जाता है तथा सूकरिया अपने बच्चे को भी खाने लगती है।
14. सूकर बच्चे पैदा होने के तुरन्त बाद ही अपनी माँ का स्तन दूदने लगते हैं और दूध पीना प्रारम्भ करते हैं। ये बच्चे प्रथम दिन जिस स्तर को दूध पीने के लिए पकड़ते हैं, उसी स्तर को बराबर पीते जाते हैं।
15. सूअरों में दिल अधिक पाई जाती है जिसका इलाज गैमेक्सीन के छिड़काव से किया जा सकता है।शुक्र गृह के दरारों तथा दिवालो पर भी इसका छिड़काव कराना चाहिये।
16. सूकरों में खौरा नामक बीमारी अधिक होती है जिसके कारण सूकर दिवारों में अपना शरीर को रगड़ते रहते है अत इससे बचाव के लिए सूकर गृह से सटे घुमने के स्थान में एक खम्मा गाड़ कर उसमें बोरा इत्यादि लपेट कर, उसे गन्धक से बने दवा से भिगो देना चाहिये ताकि उसमें सूअर अपने शरीर को रगड़े तथा स्वत उसका इलाज होता रहे।
17. प्रसव गृह में हमेशा स्वच्छ रहना नितात आवश्यक है। चूंकि सूकरियों को अधिक दूध का प्रवाह करना पड़ता है अत प्रत्येक बार दूध पिलाने के पश्चात् उसे प्यास लगती है और पानी पीना चाहती है। यदि प्रसव गृह में पर्याप्त पानी नहीं रहे तो बच्चे दूध के अभाव में दुबले होने लगते हैं।
18. गायों की भांति बकरियों को भी प्रतिदिन 6-7 लीटर दूध होता है। बच्चा देने के प्रथम सप्ताह में सूकरी करीब एक-एक घंटे पर अपने बच्चे को दूध पिलाती है। अत प्रथम सप्ताह में यह प्रयास करना चाहिये कि रात में बच्चों को बकरी से दूध पिलवाया जाय।

19. हमेशा यह प्रयास करना चाहिए कि प्रत्येक से साल में दो बार बच्चा पैदा हो और प्रत्येक बार में अधिक से अधिक बच्चा पैदा करने की प्रक्रिया की जानकारी के लिये स्थानीय पशुपालन विभाग के विशेषज्ञों की सलाह लेनी चाहिए।
20. बच्चों को जब उनकी माँ का दूध छुड़ा दिया जाता है उसके 3-10 दिनों के अन्दर ही सूकरी गर्म हो जाती है और यदि सूकरी स्वस्थ हालत मे हो तो उससे साल में दो बार बच्चा लेने के उद्देश्य से उसे तुरन्त पाल खिला देना चाहिए।
21. संकर सूकर उत्पादन से विशेष लाभ उठावे ।