शुगर के लक्षण Sugar ke lakshan और पहचान इस रोग के प्रधान लक्षणों का वर्णन नीचे किया जा रहा है:-
Sugar ke lakshan अधिक भूख लगना-
शुगर के रोगी को भूख खूब लगती है, जिस कारण वह दिन में कई बार और कुछ अवस्थाओं में रात के समय भी खाना खाता है। इतना अधिक और कई बार खाने के बावजूद भी उसकी भूख शांत नहीं होती। अधिक खाने से शरीर में अधिक शर्करा का उत्पादन होता है जो रक्त में मिलकर रक्त- संचार प्रणाली द्वारा पूरे शरीर में वितरित हो जाती है।
शरीर को जितनी ऊर्जा या शर्करा की आवश्यकता होती है, वह उतनी ही आत्मसात करता है और बाकी की शर्करा को पुनः रक्त में प्रवाहित कर देता है। यही शर्करा रक्त में मिलकर मधुमेह की स्थिति उत्पन्न करती है। जब रक्त में शर्करा अधिक हो जाती है तो गुर्दे उसे पेशाब द्वारा शरीर से बाहर निकाल देते हैं।
बार-बार मूत्र-त्याग की इच्छा Sugar ke lakshan और प्यास लगना:-
ये दोनों भी मधुमेह के प्रधान लक्षण हैं। शुगर के लक्षण रोगी बार-बार मूत्र त्याग के लिए जाता है और हर बार काफी मात्रा में पेशाब शरीर से निकलता है। अधिक मात्रा में शरीर से पेशाब द्वारा पानी बाहर निकलने के कारण, शरीर में पानी की मात्रा कम हो जाती है।

परिणामस्वरूप रोगी अपनी प्यास बुझाने के लिए बार बार पानी पीता है। यह सिलसिला चूंकि एक-दूसरे से संबंधित है, अत: इन दोनों कारणों पर संयुक्त रूप से प्रकाश डाला गया है।
Sugar ke lakshan शरीर का वजन कम होना:-
यह एक विकट लक्षण है, क्योंकि रोगी लगातार कमजोर होता जाता है फलस्वरूप उस शरीर का भार भी कम होने लगता है किंतु ऐसा सभी रोगियों के साथ नहीं होता। मधुमेह को दीपक की संज्ञा दी गई है, क्योंकि इस रोग में रोगी का शरीर अंदर से खाली होता जाता है उसकी शक्ति क्षीण हो जाने से शरीर के अंग अपना अपना कार्य सुचारु रूप से नहीं कर पाते। हमारी समझ में वजन कम होने के शारीरिक और मानसिके दोनों कारण हो सकते हैं। दुसरे, रोगी जो भी खाता है उससे शरीर को पूरा और यथेष्ट लाभ नहीं मिल पाता जिससे उसका पोषण भी पूरी तरह नहीं हो पाता।
Sugar ke lakshan नजर कमजोर होना:-
नजर कमजोर होने के कई कारण हैं जैसे, सफेद मोतिया, काला मोतिया आंख के परदे पर अवांछित पदार्थों का जम जाना आदि। सफेद मोतिया का इलाज आसानी से हो जाता है और पुनः सामान्य दृष्टि प्राप्त की जा सकती है। काला मोतिया भी ऑपरेशन या दवा के प्रयोग द्वारा रोका जा सकता है।
परंतु यदि काला मोतिया एकदम आए और आंख से गंदले पानी को यदि शीघ्र ही निकाला जाए तो अंधापन हो सकता है, वैसे हमारे विचार से दोनों प्रकार के मोतिया का मधुमेह से प्रत्यक्षत: कोई सीधा संबंध नहीं है, परंतु परोक्षरूप से अवश्य है, क्योंकि मधुमेह में ये दोनों लक्षण समय से पहले ही प्रकट हो सकते हैं।
आंखों के अंधेपन का कारण आंखों के परदे पर हानिकारक तत्वों का जमा होना है। मधुमेह में, रक्त में चीनी की मात्रा बढ़ने से हिमोग्लोबिन में शर्करा के अंश समाविष्ट हो जाते हैं। जब शर्करा-संबंधित रक्त आंख से गुजरता है तो हीमोग्लोबिन में व्याप्त शर्करायुक्त कण आंख के परदे पर एकत्र होने लगते हैं, फलस्वरूप रोगी की नजर चली जाती है। समय-समय पर आंखों की नेत्र रोग विशेषज्ञ से जांच करवाते रहने से उपयुक्त भयावह स्थितियों से बचा जा सकता है या रोग का पता चलने पर उसका समय रहते इलाज किया जा सकता है।
शुगर के लक्षण ऊपर बताए गए रोगों के कारण या किसी अन्य कारण से भी चश्मे का नंबर जल्दी-जल्दी और बार बार बदल सकता है। इसलिए नेत्र-विशेषज्ञ से नजर की जांच भी समय-समय पर करवाते रहना जरूरी है। अपना चश्मा साथ ले जाना कभी न भूलें।
शरीर के विभिन्न अंगों में तेज खुजली Sugar ke lakshan और त्वचा का सूखापन:-
मधुमेह रोगी का शरीर रूखा हो जाता है। उसकी चमड़ी ऋतु-परिवर्तन (सर्दी, गर्मी या बरसात में) में अधिक संप्रेशित हो जाती है, जिस कारण उसकी त्वचा में ऋतु-परिवर्तन से उत्पन्न प्रभावों को सहने की क्षमता कम हो जाती है।
रोगी के सारे शरीर, विशेषकर बगलों, जांघों के जोड़ों और जननेंद्रिय के आसपास तेज खुजली प्रायः होती रहती है। ऐसा कई बार विशेष पदार्थों के संपर्क, सेवन और स्पर्श से भी हो सकता है। चाहे कोई भी कारण हो, अपने चिकित्सक से संपर्क करके रोग के मूल कारण का निदान करवाने के बाद उचित उपचार कराएं अन्यथा रोग बढ़ने की संभावना बढ़ सकती है। याद रखें, साधारण चर्म रोगों से कोई रोगी मरता नहीं,परंतु शारीरिक रूप से परेशान अवश्य हो सकता है।
दोनों पांवों में सुन्नपन, सुरसुराहट या जलन:-
हमारे शरीर की सभी नसें और रक्तवाहिनी नाड़ियां हाथ और पांव पर आकर समाप्त हो जाती हैं, इसीलिए इन दोनों अंगों में रक्त का संचार सबसे अधिक रहता है। हाथ हमारे शरीर की Upper Extremity और पांव Lower Extremity हैं। जो व्यक्ति मरने के करीब होता है तो हाथ और पांव की नाड़ियों की परीक्षा करने के बाद ही शरीर की वास्तविक अवस्था का पता लगाया जाता है।
पांव में जब खून का दौरा कम या दोषयुक्त होता है तो पांव सुन्न होने लगते हैं। पांवों में खून का असामान्य या विषम दौरा हो तो सनसनाहट होने लगती है या फिर ऐसा लगता है कि पांव पर चीटियां रेंग रही हों। कुछ एक अवस्थाओं में पांव में जलन भी हो जाती है।
टांगों में वेदना और पिंडलियों में ऐंठन:-
इन लक्षणों का संबंध टांगों की कमजोरी से है, इसका मूल कारण भी रक्त-संचालन में गड़बड़ी है। दूसरे इनका संबंध कमजोर तंत्रिका शक्ति से भी है। जैसे ही रक्त और मूत्र में शर्करा की मात्रा कम होगी, रक्त संचार सुधरेगा उक्त सभी लक्षणों में स्वतः सुधार होने लगेगा।
इन और इन जैसे अन्य रोगों को Neuropathy के अंतर्गत गिना जाता है, जिसकी जड़ हृदय द्वारा शरीर को उचित और यथेष्ट रक्त सप्लाई न कर पाने की क्षमता में समाहित है। जैसे-जैसे रक्त-संचार में सुधार होता जाएगा, वैसे वैसे सभी लक्षण धीरे-धीरे तिरोहित होते जाएंगे।
Sugar ke lakshan घाव जल्दी से न ठीक होना:-
मधुमेह रोगियों की शारीरिक क्षमता और रोग-निरोधक शक्ति का धीरे-धीरे हास होने लगता है, जिसके कारण रोग जल्दी से ठीक नहीं होता। यदि शरीर पर कहीं भी घाव, फोड़े या फुंसी हो जाएं तो शरीर की निरोधक क्षमता कम हो जाने के कारण, उपचार के बावजूद, रोग कम होने में सामान्य से अधिक समय लग जाता है।
मधुमेह रोगियों को पांवों का विशेष ध्यान रखना चाहिए और ऐसे जूते पहनने चाहिए, जिनसे पांव का अधिकतम भाग ढका हो। यदि पांव में कहीं भी घाव हो जाए तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करके उसका इलाज करवाएं, घाव पुराना हो जाए और जल्दी से ठीक न हो तो कई बार पांव कटवाने तक की नौबत भी आ सकती है।
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