पोल्ट्री फार्म में मकान निर्माण के10+ Best नियम एवं नक्शा

पोल्ट्री फार्म में मकान निर्माण के नियम एवं नक्शा:-

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Poultry Farming for Beginners guide in India

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पोल्ट्री फार्म में मुर्गियों की सुरक्षा, आराम तथा सुचारू रूप से अंडो के उत्पादन के लिए अच्छे मकान की जरूरत होती है। शैड बनाने में फार्म पर सबस ज्यादा खर्च आता है। मकान या पोल्ट्री हाऊस कम खर्च में व अच्छी प्रकार बनाने चाहिए। मकान बनाने में सामग्री का उतना महत्त्व नहीं जितना मकान की परिधि, हवादार क्रास भेटिलेखन वाला होना तथा मकान का दैनिक कार्यों की सहुलियतों में सहायक होना जरूरी है।

पोल्ट्री हाऊस की स्थिति :- पोल्ट्री फार्म की योजना बनाते समय फार्म की आगे बढ़ोतरी के लिए अधिक उचित जगह का होना जरूरी है जिसमें जरूरत होने पर नया मकान बनाया जा सके। मकान ऊँची भूमि पर बनाना चाहिए जिसमें नालियों का उचित प्रबंध तथा बाढ़ या बरसाती पानी से बचाव व सुरक्षा हो सके। पोल्ट्री हाऊस मुख्य सड़क या ठीक रास्ते से जुड़ा हो ताकि कुक्कुट आहार, अंडे व मुर्गियों के लाने, ले जाने में बाधा न पड़े। पोल्ट्री हाऊस इस तरह बनाना चाहिए कि उसे ब्रुडिंग, ब्रायलर पालने या अंडे देने वाली मुर्गियों के पालन के काम में सरलता से लाया जा सके। पोल्ट्री हाऊस का हमेशा उपयोग होना चाहिए।

मुर्गियों को आराम में रखा जाना चाहिए ताकि ये अधिक से अधिक अंडे दे सके। उन्हें यथोचित जगह, ताजा-हवा, उचित तापमान और सुखे आवास की जरूरत होती है।

पोल्ट्री हाऊस या मकान की आवश्यक बातें :-

1. दिशा शैड या मकान पूर्व/पश्चिम दिशा की ओर आमुख होना चाहिए ताकि गर्मी में लू तथा बरसात में बारिश की बौछारों से बचा जा सके।

2. चौड़ाई – पोल्ट्री फार्म में शैड की चौड़ाई 30 फीट (9 मीटर) के लगभग होना चाहिए जिससे वह हवादार हो व निर्माण प्रक्रिया में कम खर्चीला हो। 40 फीट (12 मीटर) चौड़ाई वाले शैड को हवादार बनाने में मुश्किल होती है तथा 20 फीट (6 मीटर) की चौड़ाई वाले अधिक खर्चीले होते हैं।

3. लम्बाई – लम्बाई आवश्यकतानुसार हो सकती है। साधारण रूप से 100 से 120 फीट (30.5-36.5 मीटर) लम्बाई सही मानी जाती है। ब्रायलर फार्म में एक वर्ग फीट फ्लोर स्पेस प्रति चूजे के हिसब से जग दी जाती है तथा लेयर के लिए लगभग 2-2.5 वर्ग फीट (1860-2325 वर्ग से.मी.) प्रति बड़ी मुर्गी के हिसाब से जगह की जरूरत होती है। अत: 30 फीट X 100 फीट (9 x 30 मीटर) (कुल 3000 वर्ग फीट) (279 वर्ग मीटर) के घर कभर्ड एरिया में आप 3000 ब्रायलर या 1200-1500 लेयर रख सकते हैं।

4. फर्श – फर्श पक्का ककरीट का बना होना चाहिए ताकि जमीन का सीलन, जल व चूहों से बचाव हो सके। यह जमीन के तल से लगभग 10 इंच (25.40) से.मी.) ऊँची होना चाहिए।

5. दिवारें – पोल्ट्री फार्म में डीप लिटर सिस्टम या लकड़ी के बुरादे वाले बिछावन युक्त शैड में साइड की दीवारें 2-2.5 फीट (60 से.मी. 76 से.मी. ) होनी चाहिए पर पिजरे वाले शैड में साइड की दीवारों को जरूरत नहीं होती। केवल जाली ही लगाई जाती है।

6. वायर नेटिंग या जाली -अच्छी हवादारी के लिए 4.5 फीट की जाली साइड दीवारों के ऊपर फिक्स होनी चाहिए यानी 1.35 मीटर। जाली मजबूत होनी चाहिए। जंग लगने वाली नहीं होनी चाहिए।

7. छत – पोल्ट्री शैड में छत पर खर्च सबसे अधिक बैठता है। छत कई प्रकार की हो सकती है। यह एस्बेस्टस की या हल्की छत हो सकती है, यह फुस से भी बनाई जा सकती है। फुस छप्पर की छत सस्ती होती है। तथा गर्मियों/सर्दियों के मौसम के लिए अच्छी रहती है। यह छत इसुलेटर का काम भी करती है। पर इसमें आग लगने का खतरा हमेशा बना रहता है। साथ ही चूहो की भी परेशानी है। इसे 2-3 साल में बलदना भी पड़ता है। गैबल टाइप या झोपड़ी नुमा मकानों के लिए एस्बेस्टस चादर सबसे अच्छी मानी जाती है पर ये थोड़ी कीमती होती है।

झोपड़ी नुमा शैड या मकानों में छत के केन्द्र या बीच की ऊँचाई 3 से 14 फीट (3.96-4.26 मीटर) होनी चाहिए। शैडो में समतल छत फ्लैट का इस्तेमाल किया जाता है। ऊँचाई लगभग 6-8.5 फीट (2.40-2.55 मीटर) रखी जाती है। दो मंजिले मकान में जमीन व कीमत की बचत होती है. क्योंकि दूसरे तल के निर्माण में जमीन की कीमत और नींव की खुदाई की खर्च की भी बचत होती है। फर्श भी भी बना बनाया मिल जाता है। दूसरे तल की ऊँचाई 6.5 फीट (1.95 मीटर) रखी जाती है।

8. ओवर हैंग (छज्जा) – पोल्ट्री फार्म में हर प्रकार के शैड या मकान में चाहे यह सिंगल हो या दो मंजिला बरसात की बौछारों में बचाव के लिए दोनों ओर ओवर हैंग (छज्जा) होना जरूरी है। छज्जा 3.5 फीट (1.06 मीटर) बाहर की ओर होना चाहिए, यह बारिश से बचाव के लिए बहुत जरूरी है।

9. पार्टीशन – पोल्ट्री फार्म में अच्छे रख-रखाव के लिए यह सुझाव दिया जाता है कि शैड में पार्टीशन या विभाग बनाने चाहिए। मुर्गियों को बड़े समूहों में रखने के बजाय पैनों में छोटे-छोटे ग्रुपों में रखना हमेशा अच्छा होता है। इससे रख-रखाव ज्यादा अच्छा होता है और अलग-अलग जगह से खरीदे गये चूजो तथा अलग-अलग उम्र वाली मुर्गियों का एक ही स्थान पर, एक ही शैड में रखा जा सकता है।

शैड को इस प्रकार विभाजित करना चाहिए कि करीब 500 बड़ी मुर्गियाँ या 500 से 1000 तक ब्रायलर एक पार्टीशन या विभाग में रखे जा सकें। 30 X 100 फीट (9 X 30 मीटर) के एक शैड में 3-4 विभाग किये जा सकते हैं। ताकि 4-5 पैन बनाये जा सके। पार्टीशन 1.5-2 फीट ( 45 61 से. मी.) दीवार देकर बनाया जा सकता है। जिसके ऊपर 4 से 5 फीट ( 1 2-1.5 मीटर) की जाती लगी होनी चाहिए।

पोल्ट्री फार्म में पानी की व्यवस्था:-

चूजों को केवल वही पानी पिलाये जो आप स्वयं पी सकते हो । 

1. पोल्ट्री फार्म में पानी का तापमान ठण्ड के मौसम में कमरे के तापमान से कम न हो जबकि गर्मी में जितना ठण्डा हो उतना बेहतर है।

2. 22°C से अधिक तापमान का पानी उचित नहीं।

3. पानी सदैव उपलब्ध हो और बर्तन की ऊँचाई चूजों की पीठ से न ऊँची हो न नीची। उँचाई को सदैव ठीक करते रहें ।

4. आम भाषा में पानी खारा या नमकीन न हो। न ही पानी गन्दा. मटमैला हो, न ही उसमें कोई जीवाणु व किटाणु हो।

5. आवश्यकतानुसार पानी के बर्तनों की संख्या पूरी होनी चाहिये।

6. बल्कि गर्मी में संख्या बढ़ाकर दुगुनी कर दें। छोटे बच्चों में शुरू के 4-5 दिन उन्हें 3-4 फुट से अधिक पानी के लिए चलना न पड़े।

7. पोल्ट्री फार्म में पानी के बर्तनों की सफाई दिन में दो बार सुबह और शाम जूट या से मूज रंगड़ कर अवश्य करें। बाद में लाल दवा (पोटाशियम) या ब्लिचिंग पाऊडर या किसी अच्छे किटाणुनाशक में खंगाल लें। अगर दो सैट हो तो एक को रोज धूप में रख दें।

8. पनी की टकी ढकी हो और सप्ताह में एक बार अवश्य ठीक ढंग से साफ की जाये। ब्लीचिंग पाऊडर थोड़े से पानी में मिलाकर हर जगह रगड़ कर धो लें।

9. उचित होगा यदि पानी में 0.2 ग्राम से 0.5 ग्राम ब्लीचिंग पाऊडर प्रति क्यूबिक फिट (26-27 लीटर) मिलाकर पीने को दिया जाये।

पोल्ट्री फार्म में जब भी टंकी खाली हो उसमें नापकर ब्लीचिंग पाऊडर डाल कर भर दें अब इसे दो घटें बाद प्रयोग में लाये। इस तरह लगातार पीने को दें। इससे पानी के किटाणु जहाँ समाप्त होंगे वहीं बहुत से तत्व का हानिकारक असर कम हो जायेंगे। यह पानी वैक्सीनेशन के समय न दिया जाये। ब्लीचिग पाउडर में 33 प्रतिशत क्लोरिन होना चाहिए आज कई दूसरे वाटर सेनेटाइजर आ रहे हैं जिनका असर देर तक रहता है।

पोल्ट्री फार्म में प्रकाश व्यवस्था:-

1. शुरू के 14-15 दिन तक प्रकाश जयादा दिया जा सकता है अर्थात प्रत्येक 100 वर्ग फुट पर 40-60 वाट का बल्ब इसके बाद इन्हें 15-25 वाट का ही बल्ब काफी है।

2. 7 दिन के बाद कुल 23 घन्टे ही प्रकाश दें तो बेहतर होगा। शाम को सूरज डूबने के एक घन्टे बाद इन्हें लाइट दें।

3. पकड़ते समय यदि लाईट बुझाकर एक लाल या नीला बल्ब लगाकर पकड़ा जाये तो ब्रायलर पर कोई असर नहीं होगा।

4. पोल्ट्री फार्म में एक समय में एक ही वाट के बल्ब हर होल्डर में लगायें। कहीं ज्यादा कहीं कम वाट के बल्ब लगाना हानिकारक है अधिाक वाट के बल्ब लगाने से चूजों में नोचने की समस्या आ सकती है। 

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