250+ Best Lokoktiyan in Hindi – लोकोक्तियाँ – proverbs

लोकोक्तियाँ किसे कहते हैं- Lokoktiyan in Hindi:-

जिस वाक्य से अर्थ स्पष्ट हो, उसे कहावत कहते हैं। महापुरुषों, कवियों और संतों की इस तरह की वाणी, जो स्वतंत्र और सामान्य बोली जाने वाली भाषा में कही जाती है, जिसमें उनकी भावनाएँ होती हैं, लोकोक्तियाँ कहलाती हैं।

Lokoktiyan in Hindi - लोकोक्तियाँ - proverbs

Proverbs Meaning in Hindi :-

PROVERB = कहावत (kahavat)
PROVERBIAL = लोकोक्तीय (lokoktiy)
PROVERB = लोकोक्ति (lokokti)
PROVERB = मुहावरा (muhavara)
Proverbs Meaning in Hindi

लोकोतयाँ या कहावते स्वतः पूर्ण वाक्य होती है और इनका व्यवहार स्वतंत्र वाक्य के रूप में किया जाता है। इनके मूल में कोई गम्भीर अनुभव, जीवन-सत्य अथवा प्रचलित कथा रहती है। उदाहरण के लिए मान न मान, मै तेरा मेहमान कहावत ली जा सकती है।

हिंदी मुहावरे और लोकोक्तियाँ:-

हिंदी मुहावरे और लोकोक्तियों के प्रयोग से भाषा आकर्षक और प्रभावक बनती है। इनके प्रयोग में बहुत सावधानी बरतनी चाहिए। इनके शब्दों को ज्यों-का-त्यों रहने देना चाहिए। इनमें किसी प्रकार का परिवर्तन उचित नहीं ।

░I░m░p░o░r░t░a░n░t░ ░T░o░p░i░c░s░

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लोकोक्तियाँ और उनके अर्थ:-

२० लोकोक्तियाँ इन हिंदी:-

देशी मुर्गी विलायती बोल – बेमेल बातों का मेल ।
टट्टी की ओट शिकार खेलना – गुप्त रूप से बुरा कार्य करना।
जिस पत्तल में खाना, उसी पत्तल में छेद करना – उपकार न मानना ।।
नीम हकीम खतरे जान – अयोग्य व्यक्ति से लाभ नहीं, वरन हानि होती है।
होनहार बिरवान के होत चिकने पात – बड़े लोगों के शुभ लक्षण उनके बाल्यकाल में ही झलकते हैं।
लूट में चर्खा नफान – पाने वाली स्थिति में भी कुछ पा जाना।
भागते भूत की लंगोटी भली – जहाँ कुछ मिलने की आशा न हो, वहाँ थोड़ा भी मिल जाय, तो खुशी होनी चाहिए।
भई गति साँप – छछूंदर केरी- असमंजस में पड़ जाना।
बन्दर क्या जाने आदी (अदरक) का स्वाद – किसी चीज के न जाननेवाले के द्वारा उस चीज की कद्र न किया जाना ।
नाम बड़े पर दर्शन थोड़े – मिथ्या प्रसिद्धि।
बैल न कूदे, कूदे तंगी – स्वामी के बल पर सेवक का दुस्साहस करना।
तुम डाल-डाल, मे पात-पात – किसी की चाल को अच्छी तरह जानना ।
दाल-भात में मूसलचन्द – बिना मतलब दखल देना।
झोपड़ी में रहना और महल का सपना देखना – हैसियत से परे सोचना।
का वर्षा जब कृषि सुखाने – अवसर बीत जाने पर प्रयत्न करना।
ऊँट के मुँह में जीरा – जरूरत से बहुत कम।
आँख का अंधा, नाम नयनसुख – गुण के विपरीत नाम।
ऊँट किस करवट बैठता है – लाभ किस पक्ष को होता है।
छोटा मुँह, बड़ी बात – अपनी योग्यता से अधिक बातें करना।
छछूंदर के सिर पर चमेली का तेल – अयोग्य के लिए अच्छी वस्तु का प्रयोग।
काला अक्षर भैंस – बराबर निरक्षर भट्टाचार्य ।

लोकोक्तियों का अर्थ और वाक्य:-

अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ता – कोई बड़ा कार्य एक आदमी के वश की बात नहीं।
ऊँची दूकान, फीके पकवान – केवल बाहरी चमक-दमक, भीतर खोखलापन।
अशर्फी की लूट, कोयले पर छाप – बहुमूल्य वस्तुएँ तो नष्ट होने को छोड़ दो गयीं, पर साधारण वस्तुओं की रक्षा का प्रयत्न |
आम का आम, गुठली का दाम – दुहरा फायदा उठाना।
अंथों में काना राजा – अज्ञानियों के बीच थोड़ी समझ के व्यक्ति का आदर होना।
जस दूल तस बनी बराता – जैसे खुद, वैसे साथी।
जल में रहे, मगर से बैर – जिसके मातहत है, उसी का विरोध करना।
जैसा देश, वैसा भेष – परिस्थिति के अनुसार काम करना चाहिए।
दूर का ढोल सुहावन – दूर से कोई चीज सुहावनी मालूम पड़ती है।
भैंस के आगे बीन बजाये, भैंस रही पशुराय – मूर्ख के सामने गुणों का बखान व्यर्थ है।
साँप मरे, व लाठी टूटे – नुकसान के बिना ही काम हो जाना।
हाथ कंगन को आरसी क्या – प्रत्यक्ष के लिए प्रमाण क्या ?
मेढकी को जुकाम होना – बड़ों की असम्भव नकल करना।
सब धान बाइस पसेरी – अच्छे बुरे को एक समझना।
मार-मारकर हकीम – बनाना जबर्दस्ती आगे बढ़ाना।
नक्कारखाने में तूती की आवाज – सुनवाई न होना।
धोबी का कुत्ता, न घर का न घाट का – कहीं का न रहना।
दोनों हाथ लड्डू – हर तरह से लाभ।
दूध का जला मट्ठा फूंक-फूंककर पीता है – एक बार का धोखा खाया व्यक्ति हमेशा सतर्क रहता है।
मन चंगा तो कठौती में गंगा – मन की शुद्धि ही सबसे बढ़कर है।
घर के भेदी लंकादाह – आपसी वैमनस्य से बड़ी हानि होती है।
जाके पाँव न फटे बिवाई, सो क्या जाने पीर पराई – वैयक्तिक अनुभव नहीं रहने पर दूसरे के कष्ट का अनुभव नहीं होता।

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