एच.आई-वी. क्या है? HIV Full Form
एच. – ह्यूमन
H – Human
आई. – इम्युनोडेफिशिएंसी
I – Immunodeficiency
वी. – वायरस
V – Virus
यानी एक ऐसा वायरस या विषाणु, जो मनुष्य के भीतर पाए जाने वाले रोगों से लड़ने की स्वाभाविक ताकत को धीरे-धीरे कम करता है। यह वायरस केबल मनुष्यों को संक्रमित करता है।
- एच.आई-वी. क्या है?
- एड्स क्या है ? एड्स का पूरा अर्थ है –
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एड्स क्या है ? एड्स का पूरा अर्थ है – AIDS / HIV Full Form in Hindi:-
HIV ka hai pura naam hindi may:-
ए – एक्वायर्ड (प्राप्त किया हुआ)
A – Acquired (Received)
इ – इम्युनों (शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता)
E-immunos (ability of the body to fight against diseases)
डी – डेफिसिएसी (कमी)
D – Deficiency (deficiency)
एस – सिंड्रोम (लक्षणों का समूह)।
S – syndrome (group of symptoms).
यानी एड्स AIDS किसी बीमारी का नाम नहीं है यह शरीर की वह स्थिति है जिसमें शरीर कई तरह के रोगों से घिर जाता है और शरीर की बीमारियों से लड़ने की ताकत खत्म हो जाती है। शरीर को इस स्थिति में पहुंचाने में एच.आई.वी. (HIV) की प्रमुख भूमिका होती है। एड्स मात्र किसी एक रोग को नहीं दर्शाता अपितु अनेक लक्षणों व चिन्हों का समूह होता है।
एच.आई.वी. एवं एड्स में क्या फर्क है। Difference between HIV and AIDS:-
एच.आई.वी. एवं एड्स (HIV /AIDS) का अर्थ एक समान नहीं है। एच.आई.वी. संक्रमित व्यक्ति को एड्स रोगी नहीं कहा जाना चाहिए। एच.आई.वी. HIV पूर्णतः विकसित लक्षण एड्स होता है। यह अवस्था एच.आई.वी. (HIV) संक्रमित व्यक्ति में बहुत बाद में आती है। शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता नष्ट होने के कारण अवसरवादी बीमारिया होने की सम्भावना बढ़ जाती है। एच.आई.वी. (HIV) संक्रमित व्यक्ति को जय अवसरवादी बीमारियां अथवा कैंसर हो जाता है. तब उस व्यक्ति को एड्स की अवस्था तक पहुंचा हुआ माना जाता है। जब सी डी4 के विषाणु की गणना प्रति माइक्रोमीटर में 200 से कम हो जाती है तो उसे एड्स की स्थिति माना जाता है।
एच.आई.वी./एड्स कैसे फैलता है। How does HIV / AIDS spread?
एच.आई.वी./एड्स चार तरीकों से फैलता है।
1.असुरक्षित यौन सम्बन्ध सभी प्रकार के असुरक्षित लैंगिक सम्पर्क (योनी, गुदा, मुख द्वारा)। इस प्रक्रिया के दौरान हमारे शरीर में कुछ द्रव्यों (खून, वीर्य, योनिद्रव्य) द्वारा एच.आई.वी. (HIV) वायरस प्रवेश करता है इसका हस्तान्तरण पुरूष से स्त्री, स्त्री से पुरूष अथवा समलैंगिक (स्त्री से स्त्री और पुरूष से पुरूष) लोगों में होता है।
2.एच.आई.वी. (HIV) संक्रमित रक्त और रक्त के उत्पादों के द्वारा। कई बार बिना जांच के संक्रमित रक्त को चढ़ाये जाने से एच.आई.वी. हो सकता है।
3.संक्रमित सुइयों, शल्यक्रिया के उपकरणों (ऑपरेशन के उपकरण) व ब्लेड द्वारा। कई बार गरम पानी में बिना वाली भाइयों के इस्तेमाल से भी विषाणु शरीर में आ जाते हैं। दो व्यक्तियों द्वारा नशीले पदार्थों के सेवन के लिए एक ही सुई का इस्तेमाल करने से।
4.एच.आई.वी. (HIV) संक्रमित स्त्री से उसके भ्रूण में पल रहे बच्चे को, प्रसव के दौरान नवजात शिशु को अथवा स्तनपान द्वारा एच.आई.वी. (HIV) के विषाणु का हस्तान्तरण।
एच. आई. वी./ एड्स नहीं फैलता है- HIV / AIDS is not spread-
- हाथ मिलाने से
- गले मिलने से
- छुने से
- एक साथ काम करने से
- एक साथ खेलने या पढ़ने से
- एक साथ रहने से
- मच्छर के काटने से
- शुष्क चिंतन से
- छींकने से
- खांसने से
- एक थाली में खाना खाने से
- एक ही तालाब में नहाने से
- एक ही साबुन के इस्तेमाल से
- सार्वजनिक शौचालय के प्रयोग से
- संक्रमित व्यक्ति के कपड़े पहनने से
एच.आई.वी. के विषाणु शरीर, खून की बोतल, सुइयों से बाहर ज्यादा देर नहीं रह पाते। दो से चार मिनटों के अन्दर नष्ट हो जाते हैं।
एच.आई.वी./एड्स के लक्षण क्या-क्या है? hiv-positive symptoms ?
प्रमुख लक्षण:-
- एक महीने में 10 प्रतिशत तक वजन घटना
- एक महीने से ऊपर लगातार या कुछ समय के अन्तराल में दस्त होना
- एक महीने से ऊपर लगातार या कुछ समय के अन्तराल में बुखार का आना
निम्न लक्षण:-
- एक महीने से ऊपर लगातार खांसी रहना
- हर्पीज जोस्टर खुजली और चर्म रोगों का लगातार शरीर पर बने रहना
- मुह और गले में छाले
- याददाश्त का कमजोर पड़ना
- ग्रंथियों में सूजन
- बुद्धि का ह्रास
- बाहरी नसों का नष्ट होना
एच.आई.वी. का पता कैसे लगाया जाता है?
एच.आई.वी. (HIV) का पता खून की जांच द्वारा लगाया जा सकता है।
एलिसा टेस्ट
वेस्टर्न ब्लॉट टेस्ट
विंडो पीरियड क्या होता है? hiv kitne din me pata chalta hai
एच.आई.वी. (HIV) के विषाणु से लड़ने के लिए सफेद रक्त काशिकाए एंटीबॉडीज बनाती है। एंटीबॉडी बनने की इस अवधि में 2 से 6 माह का समय लग सकता है। एंटीबॉडीज बनने की इस अवधि को विंडो पीरियड कहते है। इस विंडो पीरियड में शरीर में वायरस होते हुए भी जांच में नेगेटिव आ सकता है। अत एच.आई.वी. (HIV) की जाच में विंडो पीरियड का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है।
एच.आई.वी. का टेस्ट दो बार करवाना क्यों जरूरी है?
विंडो पीरियड के दौरान जांच में एच.आई वी. के विषाणु का पता नहीं चल पाता है। इसका कारण यह है कि जांच एच.आई.वी. (HIV) एंटीबॉडीज की होती है, एच.आई.वी. (HIV) की नहीं। इसलिए जरूरी है कि तीन महीने बाद फिर से जांच करवाई जाए।
क्या विडो पीरियड के दौरान एच.आई.वी. के फैलने सम्भावना है?
हाँ विंडो पीरियड के दौरान एच.आई.वी. (HIV) के फैलाने की सम्भावना है क्योंकि शरीर में उस समय एच.आई.वी. के विषाणु मौजूद रहते हैं।
एच.आई.वी. से बचाव के लिए क्या-क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?
एच.आई.वी. से बचाव के लिए “ए बी सी नियमों का पालन जरूरी है।
१. ए: एबस्टिनेंस – विवाहपूर्व यौन सम्बन्ध न बनाएं
बी: बी फेथफुल – यौन सम्बन्ध एक ही साथी से बनाए यदि
ए और बी दोनों का पालन न किया जा सके तो
सी: कंडोम को सही ढंग से तथा हर संभोग के समय प्रयोग करें। कण्डोम का उपयोग योनि, गुदा व मुख से संभोग के दौरान जरूरी है। यह न केवल गर्भनिरोधक का काम करता है बल्कि आर. टी. आई., एस.टी. (STI) आई, तथा एच.आई.वी. एड्स से भी बचाव करता है बशर्ते अगर इसका इस्तेमाल सही ढंग से किया जाए।
2.जांच किए गए खून का ही इस्तेमाल करें।
3. सुरक्षित सुइयों के इस्तेमाल से – एक बार उपयोग की जाने वाली सुझ्या इस्तेमाल करें अथवा सुइयों को कम से कम 30 मिनट तक गरम पानी में उबाल कर इस्तेमाल करें।
4.गर्भवती महिला के एच.आई.वी. जांच करवाना, अगर महिला पॉजिटिव (एच.आई.वी. से संक्रमित) है तो दवाइयों द्वारा संक्रमण की संभावना को कम किया जा सकत है।

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