No. 1 हृदय का कार्य – heart work in Hindi meaning

हृदय का कार्य – heart work in Hindi meaning निम्नलिखित होता है:-

हृदय का कार्य heart work मे हृदय शरीर का सबसे महत्वपूर्ण अंग होता है। यह एक पंपिंग मशीन है, जो कभी सिकुड़ता है और कभी फैलता है। सिकुड़ने और फैलने से उसकी धारण-शक्ति घटती और बढ़ती रहती है। रक्त शरीर के सब अंगों को आवश्यक वस्तुएं देकर दो में शिराओं द्वारा दाएं ग्राहक कोष्ठ (right auricle) में वापस आता है।

ज्यों ही यह कोठरी रक्त से भर्ती है, वह सिकुड़ने लगती है। सिकुड़ने से उसमें स्थान कम हो जाता है, जिससे रक्त उसमें से निकलकर दाएं क्षेपक कोष्ठ (right ventricle) में चला जाता है। जब पूरी तरह ग्राहक कोष्ठ सिकुड़ जाता है तो किवाड ऊपर को बंद हो जाते हैं। दाएं क्षेपक कोष्ठ से फुफ्फुस धमनी (Pulmonary artery) निकलती है, रक्त उसकी शाखाओं द्वारा फेफड़ों में पहुंचता है।

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हृदय रोग के कारण:-

हृदय का कार्य – How to heart work in video:-

फेफड़े (lungs) रक्त को शुद्ध करने वाले यंत्र हैं फेफड़ों में शुद्ध होकर रक्त चार नलियों द्वारा बाएं ग्राहक कोष्ठ (Left auricle) में लौट आता है। भर जाने पर यह कोष्ठ सिकुडने लगता है और रक्त उसमें से निकलकर बाएं क्षेपक कोष्ठ (Left.auricle) में प्रवेश करता है, पूरा सिकुड़ने पर किवाड़ ऊपर को बंद हो जाते हैं। क्षेपक कोष्ठ के सिकुड़ने से रक्त महाधमनी में जाता है। महाधमनी से बहुत-सी शाखाएं फूटती हैं, जिनके द्वारा रक्त समस्त शरीर में पहुंचता है।

हृदय के कोष्ठ रक्त को आगे धकेलकर फैलने लगते हैं और शीघ्र पूर्व स्थिति में वापस आ जाते हैं। इतने में वे रक्त से भरकर फिर सिकुड़ने लगते हैं और रक्त को आगे धकेलकर फैल जाते हैं। यह सिकुड़ने और फैलने का सिलसिला जीवन भर चलता है

हृदय का कार्य heart work मे कोई कोष्ठ पलभर के लिए भी खाली नहीं रहता। दोनों ग्राहक कोष्ठ (auricles) एक साथ ही रक्त से भरते हैं और फिर एक साथ ही सिकुड़ते हैं। इसी तरह दोनों क्षेपक कोष्ठ (ventricles) भी एक साथ भरते और सिकुड़ते हैं।

कष्टों के सिकुड़ने को आकुंचन या संकुचन (contraction) और फैलकर पूर्व दशा को प्राप्त होने को प्रसरण (expansion) कहते हैं। पहले ग्राहक कोष्ठों का आकुंचन होता है, फिर क्षेपक कोष्ठों का, उसके पश्चात् समस्त हदय का प्रसरण होता है और वह पलभर के लिए विश्राम करता है और सिकुड़ता और फैलता है एक आकुंचन और एक प्रसरण में12 मिनट के लगभग समय लगता है इसे ऐसे सम्झा जा सकता है किे हृदय एक मिनट में 72 बार रक्त ग्रहण करता है और इतनी ही बार उसको आगे धकेलता है।

इदय पंपिंग के जरिए अशुद्ध रक्त को फेफड़ों में भेजता है फेफड़े उसे ऑक्सीजन से, जो श्वास के द्वारा आती है. शुद्ध करते हैं यह क्रिया सतत चलती रहती है। इदय की क्रियाशीलता से ही शरीर जीवित रहता है।

हृदय का कार्य heart work शरीर में केवल तीन अंग रक्त-शुद्धि के हैं:-

1.फेफड़े (lungs),

2. वृक्क या गुर्दे (Kidney)

3. त्वचा (skin)

इसके अतिरिक्त शरीर की ग्रंथियों के स्राव यगा-पसीने. मैल आदि निकलने से भी रक्त शुद्ध होता है। अतएव, स्नान नहीं करने से बदबू आने लगती है. वृक्क के ठीक ंग से कार्य न करने पर यूरिया व यूरिक एसिड एकत्र होने लगते हैं, जो हृदय रोग एवं कई अन्य रोगों को जन्म देते हैं।

बदय नियमानुसार सिकुड़ता और फैलता है। संकुचन और प्रसरण से एक शब्द उत्पन्न होता है, जो लुबा-डप, लुब-डप जैसा सुनाई देता है। यह शब्द छाती पर कई स्थानों पर सुनाई कहता है। इन दोनों आवाजों के बीच में थोड़ा-सा अंतर रहता है। लुब को हृदय का पहला शब्द और डप को दूसरा शब्द कहते हैं।

हृदय का कार्य मे हृदय एक मिनट में 70-75 बार और एक दिन में एक लाख से अधिक बार धड़कता है।एक बार में हदय 70 से 80 ग्राम रक्त पंप करता है। एक मिनट में 5 लीटर और 24 घंटे में 7500 मीटर से ऊपर रक्त धमनियों को देता है इसके द्वारा ही शरीर के विभिन्न अंग शक्ति पाते है और उनके क्रियाकलाप संभव हो पाते हैं।

हृदय का कार्य - heart work
हृदय का कार्य – heart work

जिस प्रकार पूरे शरीर का पोषण हृदय का कार्य heart work द्वारा पंप किए रक्त से होता है, उसी प्रकार स्वयं हृदय का कार्य मे हृदय का पोषण भी रक्त से होता है। जैसे ही महाधमनी इदय के ऊपरी भाग, जिसे एओट भी कहते हैं, में पहुंचती है. इसमें से दो शाखाएं निकलती है। दाई शाखा को दाई कॉरोनरी धमनी और बाई शाखा को बाई कोरोनरी धमनी कहते हैं। बाई कॉरीनरी धमनी की दो शाखाएं और हो जाती हैं। इस प्रकार ये तीन शाखाएं उपशाखा] मिलकर हदय की सभी मांसपेशियों में खून पहुंचाने का कार्य करती हैं।

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