शब्द किसे कहते हैं इन हिंदी – Best परिभाषा और प्रकार / भेद

इस लेखन में हम अपने शब्दों (Shabd kise kahate hain) के बारे में जानेंगे। शब्दों से संबंधित विभिन्न विषय यहाँ बड़े पैमाने पर बताया गया हैं जैसे: –

शब्द किसे कहते हैं इन हिंदी -  Best परिभाषा और प्रकार / भेद
Shabd kise kahate hain
Shabd kise kahate hain

शब्द किसे कहते हैं:-

परिभाषा :-एक या अधिक अक्षर से बनी हुई स्वतंत्र एवं सार्थक ध्वनि या ध्वनि-समूह को ‘शब्द’ कहते हैं।

जैसे—मैं, लड़का, तू, छोटा, वह इत्यादि ।

शब्दों के भेद:-

१. अर्थ की दृष्टि से:- अर्थ की दृष्टि से कुछ वैयाकरणों ने शब्दों के दो भेद माने हैं-

(क) सार्थक

(ख) निरर्थक।

सार्थक:-सार्थक शब्द वे हैं, जिनका कोई निश्चित अर्थ होता है।

जैसे— श्याम, लोटा, राम, सीधा आदि।

निरर्थक:-निरर्थक शब्द उस ध्वनि या ध्वनि-समूह को कहते हैं, जिसका कोई परम्परागत या कोषगत अर्थ नहीं होता।

जैसे – चे-चे,कल्ल, हल्ल, इत्यादि।

व्याकरण में केवल सार्थक शब्दों का वर्णन किया जाता है। निरर्थक शब्दों का वर्णन उसमें तभी होता है, जब वे सार्थक बना लिये जाते हैं।

२. व्युत्पत्ति या रचना की दृष्टि से प्रकार होते हैं -रचना के विचार से शब्द के तीन प्रकार होते है ।

(क) रूढ़

(ख) यौगिक

(ग) योगरूढ़

रूढ़:- रूढ़शब्द वे है जिनका कोई भी खण्ड सार्थक नहीं होता और जो परम्परा से किसी अर्थ में प्रयुक्त होते हैं।

जैसे-लोटा, वरतन आदि।’लोटा’ शब्द के यदि दो भाग किये जायें, तो पहला ‘लो’ होगा और दूसरा ‘टा’ होगा। इन दोनों भागों का अलग अलग रहने पर कोई अर्थ नहीं होता। अतः इस तरह के शब्द को रूद कहते हैं।

यौगिक:-यौगिक उन शब्दों को कहते हैं जिनके खण्डों का अर्थ होता है।

जैसे- देवमंदिर,गाड़ीवान, विद्यालय आदि।’देवमंदिर’ के दो भाग हैं देव और मंदिर। इन दोनों खंडों का अपना अलग-अलग अर्थ है। जैसे— ‘देव’ का अर्थ हुआ देवता और ‘मंदिर’ अर्थ हुआ गृह |इसी तरह, विद्या आलय विद्यालय शब्द भी यौगिक हैं।

योगरूढ़:-योगरूढ़ उन शब्दों की संज्ञा है, जिनके खंड सार्थक हो, परन्तु जो शब्द खंड-शब्दों से निकलनेवाले अर्थ से भिन्न अर्थ प्रकट करते हों।

जैसे- पंकज = पंक + ज, पंक से उत्पन्न होनेवाला ।

पंक से उत्पन्न होने वाली सभी चीजों को ‘पंकज’ नहीं कहते। यह शब्द ‘पंक’ तथा ‘ज’ इन दो खंडों के योग से बना है। अतएव इसमें यौगिक शब्द का गुण है। व्युत्पत्ति के अनुसार इस शब्द का अर्थ बहुत व्यापक है, परन्तु व्यवहार में ‘कमल’ के लिए रूढ़ हो गया है। अतः इस योगरूढ़ कहते हैं। अन्य उदाहरण के लिए गिरिधारी, पयोद, नीलाम्बर,लम्बोदर, जलद, इत्यादि शब्दों को ले सकते हैं।

░Y░o░u░ ░M░a░y░ ░a░l░s░o░░L░i░k░e░

वर्ण किसे कहते हैं

उत्पत्ति की दृष्टि से शब्द और उसके भेद:-

उत्पत्ति की दृष्टि से उत्पत्ति के विचार से शब्दों के पाँच भेद हैं-

(क) तत्सम

(ख) अर्धतत्सम

(ग) तद्भव

(घ) देशज

(ङ) विदेशज

(क) तत्सम:-तत्सम संस्कृत के उन शब्दों को कहते हैं, जो हिन्दी में ज्यों के-त्यों ले लिये गये हैं।

जैसे – जीवन, यात्रा, निवास, पथिक,प्रयोग इत्यादि।

(ख) अर्धतत्सम:-अर्धतत्सम उन शब्दों को कहते हैं, जो संस्कृत से ईपत् परिवर्तित होकर हिन्दी में आये है। ये शब्द संस्कृत के अधिक निकट है।

जैसे – चूर्ण से -चूरन, अग्नि से आग, कार्य से कारज आदि

(ग) तद्भव:-तद्भव उन शब्दों को कहते हैं, जो संस्कृत से ही लिये गये हैं, परन्तु हिन्दी में आने पर जिनका रूप बदल गया है।

जैसे – कृष्ण से कान्ह, श्रृंगाल से सियार आदि।

(घ) देशज:-देशज उन शब्दों की संज्ञा है, जो किसी दूसरी भाषा के नहीं है, अपितु देश के लोगों की ही बोल-चाल से बने हैं।

जैसे- पिल्ला, चटपट, कोड़ी, खोट,डोंगी, मूँगा, छाती इत्यादि ।

(ङ) विदेशज:-विदेशज वे शब्द है, जो विदेशी भाषाओं से लिये गये है।

जैसे – अरबी से जिला, तहसील, नकद, हलवाई,एतबार, एतराज, तारीख, अदालत, कर्ज, औरत,कब्र आदि।

फारसी से चापलूस, चाकू, कारोबार, खुशामद, गवाह,चश्मा, आराम, आवारा,जलेबी, जुकाम, तराजू आदि।

अंगरेजी से कॉलेज, रेल, बटन, टेबुल, रेल, पुलिस, टैक्स, ऑफिस, आदि।

तुर्की से भड़ास, खच्चर, चोंगा, कैची, खजांची, चमचा, चेचक, लाश,उर्दू, काबू, कुली, आदि।

पुर्तगाली से फीता, बालटी, चाबी, आलपिन, इस्पात,आलमारी, किरानी,संतरा, साबुन, काजू आदि।

रूपान्तर की दृष्टि से शब्द और उसके भेद:-

रूपान्तर के आधार पर भी शब्दों के दो भेद किये गये हैं –

(क) विकारी

(ख) अविकारी

(क) विकारी:-विकारी उस शब्द को कहते हैं, जिसका रूप लिंग, वचन, कारक-प्रत्यय और क्रिया-प्रत्यय के अनुसार बदलता है। संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण तथा क्रिया विकारी शब्द है।

(ख) अविकारी:-अविकारी शब्द उसे कहते हैं, जिसका रूप लिंग, वचन, कारक-प्रत्यय और क्रिया प्रत्यय के अनुसार नहीं बदलता अर्थात् सदा एक-सा ही रहता है। इसे ‘अव्यय’ भी कहते हैं।

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