पेट दर्द के घरेलू उपाय:-
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आजकल पेट के निचले हिस्से में दर्द एक आम समस्या हो गई है क्योंकि लोगों का जीवन इतना अनियमित हो गया है कि इसका सीधा असर उनके पाचन तंत्र पर पड़ता है। लंबे समय तक बैठे रहने, समय की कमी के कारण बहुत अधिक जंक फूड खाने, पर्याप्त नींद न लेने, अपच या पेट की समस्या जैसी समस्याएं आमतौर पर होती हैं जो पेट दर्द का कारण बन सकती हैं।

आमतौर पर लोग पेट दर्द के लिए सबसे पहले घरेलू नुस्खे अपनाते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि पेट दर्द के घरेलू उपचार सबसे पहले घर में ही मिल जाते हैं जो दर्द से जल्दी राहत दिलाते हैं। तो आइए अब जानते हैं कि आयुर्वेद में त्रुटियों के कारण पेट में दर्द क्यों होता है और आयुर्वेदिक उपचार (Pet dard ka Ilaj) क्या है।
पेट दर्द क्या होता है:-
वातदोष के असंतुलित होने पर पेट भारी होकर फूल जाता है। इससे पेट दर्द, (Pet dard) बेचैनी, जलन एवं कभी-कभी मितली आने लगती है। अम्लपित्त एवं पित्त विकार में खट्टी डकारें आती हैं। पेट में भारीपन महसूस होता है। उदरशूल, तेजाबियत (एसीडिटी) एव वमन आदि की शिकायतें हो जाती हैं।
पेट दर्द के घरेलू उपाय बताएं जो निम्नलिखित हैं :-
आलू को नियमित रूप से कुछ दिनों तक खाने से पेट की अम्लता में लाभ होता है।
दो चम्मच नींबू के रस और एक चम्मच अदरक के रस में थोड़ी सी शक्कर मिलाकर पीने से पेट दर्द एवं उदरशूल नष्ट हो जाएगा।
अफारा, पित्त विकार एवं गैस रोग होने पर आंवले का काढ़ा पकाकर चीनी मिलाकर पी जाइए। इसे दिन में तीन बार लेने से आराम मिल जाएगा।
अलसी की पतली पुल्टिस में जरा-सा कपूर मिलाकर पेट पर बांधने से पेट दर्द, अफारा और जलन शांत हो जाती है।
पेट दर्द की आयुर्वेदिक दवा (उपचार):-
पेट दर्द, अफारा या वायु प्रकोप होने पर अजवायन की पोटली बनाकर पेट की सैंकाई करें। तत्काल लाभ हो जाएगा।
पेट दर्द, अफारा या अपच होने पर दो तीन रत्ती हींग को अजवायन और ग्वारपाठा के थोड़े से गूदे के साथ दिन में दो-तीन बार खिलाएं। शीघ्र ही लाभ होगा।
दस ग्राम शहद में तीन ग्राम अजवायन बारीक करके मिला दें और उसे पेट के रोगी को खिलाएं। पंद्रह मिनट में पेट का दर्द, अफारा, गैस एवं बदहजमी दूर हो जाएगी।
सोंठ, काली मिर्च व सेंधा नमक- दो-दो ग्राम तथा थोड़ी-सी हींग को पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण की एक से दो ग्राम की मात्रा लेने पर पेट दर्द एवं अफारे में लाभ होता है।
प्याज की एक गांठ महीन काटकर दही के साथ लेने से अम्लपित्त में आराम मिलता। है। इसका सेवन एक सप्ताह तक करना चाहिए।
पेट दर्द में अजवायन और नमक की फंकी गरम पानी के साथ लें। शीघ्र आराम मिलेगा।
मूली का नियमित सेवन कब्ज दूर करके पेट साफ करता है और एसीडिटी, खट्टी इकारों एवं अफारे से छुटकारा मिलता है।
बड़ी इलायची को पीसकर उसमें आवश्यकतानुसार मिर्च मिला है। फिर तीन-तीन माशे की खुराक बनाकर सुबह-शाम भोजन के बाद प्रयोग करें। पेट दर्द बदहजमी और पित्त का प्रकोप नष्ट हो जाएगा।
पेट में दर्द होने और जी मिचलाने पर तुलसी एवं अदरक का रस मिलाकर एक एक चम्मच दो-दो घंटे बाद दिन में तीन चार बार लें। इस रस को हल्का गुनगुना करके लेने से तत्काल लाभ होता है।
एक या डेढ़ चम्मच आंवले का चूर्ण पानी के साथ लेने से पेट में बनने वाले तेजाब (एसीडिटी) से मुक्ति पाई जा सकती है।
अम्लपित्त होने पर तुलसी की मंजरी, नीम की छाल, काली मिर्च और पीपल को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें। तीन ग्राम सुबह फांककर ताजा पानी पिएं। मल-मूत्र के रास्ते अम्लता और पित्त साथ-साथ निकल जाएंगे।
सोंठ, काली मिर्च और पीपल को समभाग में लेकर कूट-पीसकर चूर्ण बना लें। इसके नित्य सेवन से अम्लपित्त, पेट दर्द, अफारा और वायु विकार का नाश होता है। भोजन जल्दी पच जाता है।
अगर पेट में पीड़ा अथवा अफारा हो तो उत्तम हींग, सेंधा नमक, पीपल का चूर्ण, काली मिर्च का चूर्ण और सोंठ का चूर्ण- सभी का समान भाग लेकर उसमें जल मिलाकर पेट पर लेप कर दें। इस उपाय से पेट का अफारा एवं पीड़ा निश्चय ही शांत हो जाएगी।
यदि भोजन के बाद (जिसके हृदय, पेट और गले में तकलीफ हो) अफारा एवं जलन महसूस हो तो मुनक्का, मिश्री तथा शहद के साथ हरड़ का सेवन करना चाहिए।
पेट दर्द – FAQ:-
गैस का दर्द कैसे दूर करे?
1. पित्त विकार एवं गैस रोग होने पर आंवले का काढ़ा पकाकर चीनी मिलाकर पी जाइए। इसे दिन में तीन बार लेने से आराम मिल जाएगा।
2. दस ग्राम शहद में तीन ग्राम अजवायन बारीक करके मिला दें और उसे पेट के रोगी को खिलाएं। पंद्रह मिनट में पेट का दर्द, अफारा, गैस एवं बदहजमी दूर हो जाएगी।
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पेट में गैस के लक्षण क्या है?
वातदोष के असंतुलित होने पर पेट भारी होकर फूल जाता है। इससे पेट दर्द, (Pet dard) बेचैनी, जलन एवं कभी-कभी मितली आने लगती है। अम्लपित्त एवं पित्त विकार में खट्टी डकारें आती हैं। पेट में भारीपन महसूस होता है।
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