निम्नलिखित कारणों से गाय-भैंसों तथा पशुओं में बांझपन की समस्या उत्पन्न होती है:–
1. अच्छे नस्ल के पशुओं का अभाव – अवर्णित नस्ल के देशी पशु अक्सर 3.5 से 4.0 साल बाद पहली बार गर्मी में आते हैं। बच्चा पैदा करने के बाद. 6-12 माह बाद गर्मी के लक्षण प्रदर्शित करते हैं। जबकि उन्नत नस्ल के देशी पश् अथवा संकर नस्ल के पर पहली बार गर्मी के लक्षण प्रदर्शित करते हैं।
जबकि उन्नत नस्ल के देशी पशु अथवा संकर नस्ल के पशु पहली बार गर्मी के लक्षण 14-18 माह की उम्र में प्रदर्शित करते हैं। एवं बच्चा पैदा होने के 2-3 माह में गर्मी के लक्षण प्रदर्ित करते हैं।
2. हरा चारा एवं संतुलित दाना की कमी: पशुओं में बांझपन का सबसे प्रमुख कारण संतुलित आहार के उपयोग की कमी है। यह अक्सर देखा गया है कि यदि पशु के आहार में समुचित हरा चारा एवं संतुलित दाना का नियमित उपयोग होता है तो ऐसे जानवरों में बांझपन की समस्या नहीं आता है, अथवा चुप्पी गर्मी के लक्षण दिखायी देते हैं एवं शरीर में पोषक तत्वों की कमी से पशुपालन नहीं रखते हैं।
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3. कृमिनाशक दवा का उपयोग न करना : दुधारू पशुओं में कृमि पशुओं के आहार के साथ शरीर में प्रवेश करते हैं। उचित वातावरण पाकर इनकी संख्या लगातार बढ़ती है जो कि पशु के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं।
कृमि की संख्या से अधिक हो जाती है तो पशुओं का शारीरिक विकास रूक जाता है। संतुलित पशु आहार से मिलने वाले अधिकांश पोषक तत्वों को कृमि स्वयं खा जाते हैं, जिसमें शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। पोषक तत्वों की कमी से पशु बाझपन का शिकार हो जाता है।
4. संक्रामक रोग पशुओं में बांझपन: यदि समय पर संक्रामक रोगों का ईलाज न किया जाये तो पशु की मृत्यु हो जाती है अथवा पशु बांझपन का शिकार हो जाता है। गर्भपात संबंधी रोग जैसे की ब्रुसेलोसिस इसका एक प्रमुख उदाहरण है। यह रोग एक कार्य से दूसरी गाय में सांड द्वारा फैलता है।
5. स्वास्थ्य सेवा सुविधा : अक्सर देखा जाता है कि समय से अगर पशु को ईलाज की सुविधा नहीं मिलती है तो किसान भी पशु पर ध्यान नहीं देते हैं जिससे अच्छे पशु भी बांझपन के शिकार हो जाते हैं।
पशुओं में बांझपन का निवारण :-
1.किसानों को हमेशा उन्नत नस्ल के सांढ के वीर्य से कृत्रिम गर्भधारण कराना चाहिए जिससे उन्नत नस्ल की बछिया पैदा होगी एवं समय से गर्मी पर आयेगी।
2.किसानों को हमेशा हरा चारा जैसे बरसीम, लसुन, कॉपी, मक्का, दीनानाथ घास, नेपियर, सुबबुल आदि अवश्य खिलाना चाहिए। हरे चारे से पशुओं को विटामिन्स एवं आवश्यक खनिज लवण की पूर्ति होती है।
3.किसान बंधु हमेशा अपने गाय-भैंस को प्रतिदिन 2.5 कि.ग्रा. संतुलित दाना अवश्य दें जिससे जानवर के शरीर का पूरा विकास होगा एवं पशु में बांझपन की समस्या नहीं होगी। संतुलित दाना से पशु को ऊर्जा, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट एवं वसा की आपूर्ति होती है।
4. पशुओं में बांझपन मे प्रत्येक पशु को प्रतिदिन 40-50 ग्राम खनिज लवण अवश्य देना चाहिए।

5. पशु चिकित्सक की सलाह के अनुसार निर्धारित समय पर पशु को कृमिनाशक दवा अवश्य देना चाहिए।
6. गाय-भैंस को अवर्णित किस्म के सांपों से पाल नहीं खिलाना चाहिए। इससे संक्रामक रोग ब्रुसेलोसिस फैलता है। साथ ही उत्पन्न संतति का नस्ल उत्पादक नहीं होता है।
7. समय-समय पर टीका अवश्य लगाना चाहिए।
8. पशु के रहने स्थान साफ-सुथरा होना चाहिए।
9. किसानों को हमेशा गाय की पूरी देखभाल करनी चाहिए।
गरीबी एवं जागरूकता के अभाव में किसान पशुओं को संतुलित मात्रा में पौष्टिक आहार एवं खनिज लवण नहीं दे पाते हैं, जिससे यहां के पशुओं में न सिर्फ उत्पादकता की कमी है बल्कि उनमें बांझपन की समस्या आम है। 75 प्रतिशत बांझपन संतुलित आहार एवं खनिज-लवण की कमी से होता है।
यह ध्यान देने योग्य है कि पशुओं को भी मनुष्यों की तरह अपने पोषण एवं उत्पादन कार्यों हेतु संतुलित आहार की आवश्यकता होती है, जिसमें कार्बोहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन, विटामिन एवं खनिज लवण की उचित मात्रा होनी चाहिए। आहार में खनिज-लवण जैसे कि कैल्शियम की कमी अथवा अधिकता से कई बिमारियाँ होती हैं जिसमें बड़े पशुओं में बांझपन, मील्क फीवर, हाइपो मैग्नीशियम आदि प्रमुख है ग्रामीण क्षेत्रों में पशुओं को सिर्फ पुआल खिलाया जाता है, जिसमें फॉस्फोरस की कमी होती है इससे लाल पेशाब एवं बांझपन की समस्या उत्पन्न होती है।