आज के आपाधापी के दौर में ज्यादातर लोग पेट की बीमारियों से जूझ रहे हैं। हालांकि, अन्य सभी बीमारियां इन दुष्प्रभावों के कारण होती हैं। इसलिए हर इंसान को पेट की बीमारियों से दूर रहना चाहिए। इन उदर रोगों में कब्ज (मलावरोध), गैस (वायु विकार), अजीर्ण (अपच या बदहजमी), पेट दर्द, पित्त विकार, अफारा, अम्लपित्त, अतिसार (पतले दस्त), संग्रहणी, आंव एवं पेचिश आदि शामिल हैं।

अजीर्ण के लक्षण और इलाज:-
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नामर्दी का इलाज घरेलु और आयुर्वेदिक उपाय
अजीर्ण के दैहिक लक्षण:- बहुत ज्यादा पानी पीना, समय पर भोजन न करना बहुत ज्यादा ठूंस-ठूंसकर भोजन करना, मल-मूत्र का वेग रोकना, रात में देर तक जागना, चाय-सिगरेट या चरस-सुलफा आदि का नशा करना, दिन में सोना आदि दैहिक कारण हैं।
अजीर्ण के मानसिक कारण:- मानसिक कारणों में ईर्ष्या, भय, क्रोध, लोभ, शोक, चिंता, हीनभाव का बहुत ज्यादा होना आदि आते हैं। इनसे दूर रहकर ही अजीर्ण, कब्ज एवं वायु विकार से बचा जा सकता है।
कब्ज का घरेलू उपाय:-
एक प्याला गरम पानी में, एक नींबू रोजाना कुछ दिनों तक पीने से अजीर्ण एवं कब्ज दूर हो जाता है।
दस ग्राम त्रिफला (हरड़, बहेड़ा एवं आंवले का चूर्ण) रोज रात को गरम दूध के साथ लेने से यह कभी नहीं होता।
देसी घी के साथ दो ग्राम गिलोय का सत लेने से कब्ज एवं गैस (वायु) का प्रकोप नष्ट हो जाता है।
सोंठ, इलायची (बड़ी) एवं दालचीनी की छाल समभाग में पीसकर, पांच रत्ती की खुराक दिन में दो बार देने से कब्ज मिटता है और भूख बढ़ जाती है।
अजवायन का अर्क अथवा नमक के साथ अजवायन गरम जल से लेने पर कब्ज और अजीर्ण नहीं होता।
घी अथवा किसी चिकनाई से हुआ अजीर्ण नींबू के रस में नमक और काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर पीने से ठीक हो जाता है। केवल सेंधा नमक ही गरम जल से लेने पर चिकनाई का अजीर्ण दूर कर देता है।
कब्ज की शिकायत होने पर रोज रात को सोते समय गुनगुने पानी के साथ सौंफ का चूर्ण लेना चाहिए।
कब्ज होने पर गुड़ के साथ गिलोय का चूर्ण मिलाकर खाने से लाभ होता है।
एक तोला तुलसी रस में, एक तोला सोंठ पीसें और गुड़ मिलाकर गोलियां बनाकर रख लें। सुबह, दोपहर और शाम को एक-एक गोली पानी के साथ लेने से पाचन क्रिया सही हो जाती है।
यदि पेट में वायु का प्रकोप बढ़ जाए तो पान में खाया जाने वाला जरा-सा चूना, बेर के बराबर गुड़ के अंदर रखकर पानी के साथ निगल जाएं। गोली अंदर पहुंचते ही वायु विकार में निश्चित रूप से आराम मिलेगा।
भोजन के उपरांत भुना हुआ जीरा थोड़ा-सा मुंह में डाल लें। इससे पाचन क्रिया शीघ्र होती है और अपच नहीं होता। साथ ही पेट का अफारा भी नष्ट हो जाता है।
अपच, अफारा एवं वमन आदि में छोटी पिप्पली को पानी में घिसकर शहद के साथ चटाएं। तत्काल आराम मिलेगा।
सोंठ (सूखी अदरक), काली मिर्च और पिप्पली को बराबर योग से पीसकर घर में रख लें। आयुर्वेद में इसे ‘त्रिकुटा योग’ कहते हैं। सुबह-शाम इसकी फंकी लेने से कैसा भी कब्ज क्यों न हो, दूर हो जाता है।
कब्ज, अफारा, जी मिचलाना और बदहजमी में पुदीने का अर्क बताशे या चीनी के साथ रोगी को दें।
खरबूजा और पका हुआ पपीता खाने से अजीर्ण नष्ट होता है। इन फलों को भोजन करने के बाद खाना चाहिए। ये भोजन को जल्दी पचाते हैं।
आठ दिन तक निराहार गुलाब के चार ताजा फूल खाने से कैसा भी कब्ज क्यों न हो, दूर हो जाता है।
कब्ज, अजीर्ण अथवा खट्टी डकारें आने पर अदरक और धनिए का काढ़ा बनाकर पीने से शीघ्र ही लाभ पहुंचता है।
रोज प्रातःकाल निराहार रात भर तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से पुराने से पुराना कब्ज दूर होता है।
हरड़, अजवायन और सोंठ समभाग में लेकर चूर्ण बना लें। इसमें आवश्यकतानुसार काला नमक मिलाएं। चूर्ण की तीन माशे खुराक के सेवन से अजीर्ण खत्म होता है।
बेल के गूदे के साथ सौंफ का चूर्ण मिलाकर खाने से अजीर्ण अर्थात् बदहजमी का नाश हो जाता है।
हिंगाष्टक चूर्ण को गरम जल के साथ लेने से अजीर्ण नष्ट होता है।
बदहजमी, जी मिचलाना, खट्टी डकारें आना, पेट फूलना आदि में टमाटर का सूप अत्यंत गुणकारी है।
यदि चावल अधिक खाने से बदहजमी हो जाए तो ताजे नारियल की गिरी खा लेनी चाहिए अथवा पानी मिला थोड़ा-सा दूध पी लेना चाहिए।
केला खाने से हुआ अजीर्ण, बड़ी इलायची पीसकर फांकने से या थोड़ा सा घी खा लेने से ठीक हो जाता है।
यदि गेहूं की रोटी खाने से अजीर्ण हो जाए तो सोंठ और काला नमक मिलाकर पानी के साथ फंकी लें।
भुनी हींग, भुना जीरा, सोंठ और सेंधा नमक- सबका समान भाग लेकर पीसें। इस चूर्ण की फंकी गुनगुने या ताजे जल के साथ लेने से बदहजमी दूर हो जाती है।
नित्य कच्ची गाजर चबा-चबाकर खाने से आंतों की सड़न, गंदगी तथा कब्ज से छुटकारा मिल जाता है। गाजर रक्त शोधक भी है।
कब्ज तोड़ने के लिए रात को सोने से पहले दूध के साथ इसबगोल की भूसी लें।
पीपल का चूर्ण पुराने गुड़ के साथ मिलाकर खाने से अजीर्ण खत्म हो जाता है।
एक गिलास ठंडे पानी के साथ नींबू का रस सुबह निराहार पीने से कब्ज दूर होता है।
अजीर्ण होने पर दालचीनी, सोंठ और बड़ी इलायची का महीन चूर्ण आधा-आधा ग्राम, भोजन से पहले फांककर एक-दो घूंट पानी पी लें।
मिठाई खाने से अजीर्ण होने पर पीपल के चूर्ण में नमक मिलाकर पानी के साथ लें।
दही पतला करके उसमें भुना हुआ जीरा मसलकर डाल दें। उसमें सेंधा नमक और काली मिर्च का चूर्ण भी आवश्यकतानुसार डालकर मिला लें। इस पेय को पीने से कैसा भी अजीर्ण हो, मिट जाता है।
नींबू पर सेंधा नमक छिड़ककर भोजन के पहले चूसने से अजीर्ण मिट जाता है।
FAQ:-
तुरंत पेट साफ कैसे करे?
1.एक प्याला गरम पानी में, एक नींबू रोजाना कुछ दिनों तक पीने से अजीर्ण एवं कब्ज दूर हो जाता है।
2.रोज प्रातःकाल निराहार रात भर तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से पुराने से पुराना कब्ज दूर होता है।
3.एक गिलास ठंडे पानी के साथ नींबू का रस सुबह निराहार पीने से कब्ज दूर होता है।
कब्ज ठीक करने का घरेलू उपाय?
देसी घी के साथ दो ग्राम गिलोय का सत लेने से कब्ज एवं गैस (वायु) का प्रकोप नष्ट हो जाता है।
कब्ज होने पर गुड़ के साथ गिलोय का चूर्ण मिलाकर खाने से लाभ होता है।
नित्य कच्ची गाजर चबा-चबाकर खाने से आंतों की सड़न, गंदगी तथा कब्ज से छुटकारा मिल जाता है।
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